
हज़रत कआब अजर (रजि.) कहते हैं कि हज़रत मुहम्मद
ﷺ के पास से एक आदमी गुज़रा। सहाबा कराम (रजि.) ने देखा कि वह रिज़्क की प्राप्ति में बहुत सक्रिय है और पूरी दिलचस्पी (रूचि) इस काम में ले रहा है तो सहाबा कराम (रजि.) ने हज़रत मुहम्मद
ﷺ से निवेदन किया, “ऐ अल्लाह के रसूल
ﷺ अगर उसकी दौड़ धुप और दिलचस्पी अल्लाह के रास्ते में होती तो कितना अच्छा होता।" इस पर हज़रत मुहम्मद
ﷺ ने फरमायाः "अगर वह अपने छोटे बच्चों की परवरिश (पालन पोषण) के लिए दौड़ धूप कर रहा है तो उसकी यह जद्दोजहद (परिश्रम) अल्लाह के रास्ते ही में गिनी जाएगी। और अगर बूढे माँ-बाप की देखभाल के लिए कोशिश कर रहा है तो यह भी फी-सबीलिल्लाह (अल्लाह के रास्ते) ही में गिनी जाएगी। और अगर खुद अपने लिए कोशिश कर रहा है और उद्देश्य यह हैं कि लोगों के आगे हाथ फैलाने से बचा रहे तो यह कोशिश भी फी-सबीलिल्लाह (अल्लाह के रास्ते) ही में गिनी जाएगी। अलबत्ता अगर उसकी यह मेहनत अधिक माल प्राप्त करके लोगों पर बरतर (वर्चस्व) जताने और लोगों को दिखाने के लिए है तो उसकी यह सारी मेहनत शैतान की राह में गिनी जाएगी।" (तरग़ीब बा-हवाला तिबरानी, ज़ादे राह, हदीस नं. 88)
अर्थात अपने और परिवार के लिए माल कमाना भी एक प्रकार की इबादत है।
क्यू. एस. खान
(B.E. Mech)
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