एहराम से पहले यह करें
1. एहराम बांधने से पहले नाख़ून काटना, गै़र ज़रुरी बालों को बदन से साफ़ करना, ग़ुस्ल करना, ख़ुशबू लगाना।
2. मर्द हज़रात का दो बग़ैर सिली सफे़द चादरों को पहनना, औरते रोज़ाना के कपड़े ही इस्तिमाल करें।
3. एहराम की चादरें पहन कर एहराम की नियत से दो रकात नमाज़ नफ़िल अदा करना। (सुन्नत)
4. उमरा/हज की नियत करना, आसानी और क़ुबूलियत की दुआ करना और फ़िर बार बार तलबियह पढ़ना।
एहराम की पाबंदियाँ-एहराम के बाद यह काम न करें
1. एहराम बांधने के बाद बदन के किसी हिस्से से बाल न काटें न तोड़ें।
2. नाख़ून न तराशें न तोड़ें।
3. मर्द न सर ढांके और न चेहरे पर कपड़ा लगायें। वुज़ू/गु़स्ल के बाद तोलिया कपड़े से सर और मुँह न पोछें।
4. एहराम की हालत में अपने जिस्म और एहराम की चादरों पर खुशबू इस्तिमाल न करें।
5. किसी ख़ुशकी के जानवर का शिकार न करें।
6. जिस्म का मेल नहीं धोएँ, नहा सकते हैं मगर बगैर साबुन के और बगैर मेल छुड़ाये।
7. एहराम की हालत में सोहबत न करें और न सोहबत से मुतअल्लिक़ कोई बात करें।
8. एहराम की हालत में मर्द ऐसी चप्पलें पहनें जिससे पंजे की हड्डियाू खुली रहें ।
9. एहराम की हालत में वाजिबाते हज में से किसी वाजिब को तर्क न करें ।
10. लोंग, इलायची या तेज़ ख़ुशबूदार चीज़ें न खायें न पियें और न सूंघें ।
11. ज़ेब व ज़ीनत, हार फूल, खुशबू लगाना, सूंघना मना है ।
उमरा
उमरा में चार काम होते हैं(1) एहराम
(2) ख़ाना-ए-काबा का तवाफ़, सात चक्कर
(3) सफ़ा और मरवा के दरम्यान सई सात चक्कर
(4) मर्द हज़रात को अपने सर के बालों को मुंडवाना (हलक़) और औरतों को अपने सर के बालों को कम करना (क़स्त्र) है।
एयर पोर्ट जाने से पहले या मीक़ात से पहले एहराम की नियत से पहायें या वुज़ू करें । मर्द हज़रात एहराम की दो बग़ैर सिली सफ़ेद चादरें पहन लें । एहराम की एक चादर तहबंद की तरह नाफ़ के ऊपर बांध लें और दूसरी चादर से बदन का ऊपरी हिस्सा कँधा समेत ढक लें । औरते नहाने के बाद रोज़ाना के कपड़े ही पहनें । दो रकात नमाज़ नफ़्ल पढ़े, मर्द हज़रात नमाज़ सर ढक कर अदा करें सलाम फ़ेरते ही सर खोल दें और उमरे की नियत करें।
:: उमरे की नियत:: (फर्ज़)
اَللَّهُمَّ إِنِّي أُرِيدُ الْعُمْرَةَ فَيَسِّرْهَا لِي وَتَقَبَّلْهَا مِنِّي
तजुर्मा : ए अल्लाह मैं आपको राज़ी करने के लिए उमरे का इरादा करता/करती हूँ आप इसको मेरे लिए आसान कर दीजिए और क़ुबूल फ़रमा लीजिए ।
फिर तलबियह पढ़ें ।
:: तलबियह ::
لَبَّيْكَ ٱللَّٰهُمَّ لَبَّيْكَ، لَبَّيْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ لَبَّيْكَ إِنَّ ٱلْحَمْدَ وَٱلنِّعْمَةَ لَكَ وَٱلْمُلْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ
लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक
इन्नल हमदा वन्नेअमता लका वल मुल्क ला शरीका लक.
तलबियह एक मर्तबा पढ़ना फ़र्ज़ है और तीन मर्तबा पढ़ना सुन्नत हैं । मर्द हज़रात बुलंद आवाज़ से तलबियह पढ़ें और औरतें आहिस्ता आवाज़ से तलबियह पढ़े। तलबियह पढ़े बगै़र एहराम नहीं बंधता । तलबियह पढ़ने के बाद एहराम बंध गया और एहराम की पाबंदियॉ शुरू हो गईं। एहराम की पाबंदियों का ख़्याल रखें और रास्ते भर तलबियह और दरूद शरीफ़ पढ़ें और ज़िक्र करें और फ़र्ज़ नमाज़ अव्वल वक़्त में अदा करें। एहराम की हालत में मर्द हज़रात नंगे सर नमाज़ पढ़े । मक्का शरीफ़ में अपनी बिल्डिंग से ही बावुज़ु हरम शरीफ़ आयें। बिल्डिंग से निकलते वक़्त हर शख़्स मर्द-औरत, बूढ़ा, जवान, बच्चा अपने साथ बिल्डिंग का कार्ड ज़रूर लेलें ताकि वापसी में ज़रूरत पड़ने पर इस कार्ड को दिखा कर अपनी बिल्डिंग तक पहुॅचना आसान हो सके।
हरम शरीफ़ में दाखिल होते वक़्त की दुआ
اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي ذُنُوبِي وَافْتَحْ لِي أَبْوَابُ رَحْمَتِكَ وَنَوَيْتُ سُنَّتَ الْإِعْتِكَافْ
ऐ अल्लाह मेरे गुनाहों को बख़्श दीजिए और मेरे लिए रहमत के दरवाज़े खोल दीजिए और मैंने सुन्नतें ऐतकाफ़ की नियत की,
फिर जब काबा शरीफ़ पर नज़ पड़े तो तीन बार कहें ।
اللهُ أَكْبَرْ اللَّهُ أَكْبَرْ اللهُ أَكْبَرْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَاللهُ أَكْبَرْ اللهُ أَكْبَرْ وَلِلَّهِ الْحَمْداللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ رَضَاكَ وَالْجَنَّةَ وَأَعُوْذُبِكَ مِنْ غَضَبِكَ وَالنَّارْ
ऐ अल्लाह मैं आप से आप की रज़ामंदी और जन्नत का तलबगार हूँ और आपकी नाराज़गी और दौज़ख की आग से पनाह मॉगता हूँ।
बाजमाअत नमाज़ का वक़्त हो तो पहले जमाअत से नमाज़ पढ़े फिर तवाफ़ करें । अब आप उमरे का तवाफ़ करेंगे / करेंगी इस लिए मर्द हज़रात तवाफ़ शुरू करने से पहले इजतिबाअ करें यानी एहराम की जो चादर कंधे पर औढ़ रखी हैं उसे सीधे हाथ की बगल के नीचे से निकाल कर बायें कंधे पर डाल लें। इजतिबाअ यानी चादर की यह कंडीशन तवाफ के सात चक्कर पूरे होने तक रहेगी । तवाफ़ से पहले तलबियह पढ़ना बंद कर दें । तवाफ़ हजरे असवद से शुरू होता है और हजरे असवद पर ही खत्म होता है । सात चक्कर का एक तवाफ कहलाता है ।
हजरे असवद के पास आकर तवाफ की नियत करें ।
اَللَّهُمَّ إِنِّي أُرِيدُ طَوَافَ بَيْتِكَ الْحَرَامِ فَيَسِّرْهُ لِي وَتَقَبَّلْهُ مِنِّيْ
ए अल्लाह में आपको राज़ी करने के लिए आपके घर का तवाफ़ करने का इरादा करता/करती हूँ आप इसको मेरे लिए आसान फ़रमा दीजिए और क़ुबूल फ़रमा लीजिए । मर्द हज़रात पहले तीन चक्करों में (रमल) अकड़ कर सीना तान कर मोंढें हिलाते हुए पहलवानों की तरह चलें। तवाफ़ के दौरान छोटे छोटे क़दम उठायें नज़र अपने चलने की जगह पर हो । तवाफ़ के दौरान काबा शरीफ़ की तरह न सीना करें न पीठ करें न काबा शरीफ़ को देखें। हथेलियों को हजरे असवद के सामने आकर कानों तक उठायें इस्तिलाम करें और कहें:
بِسْمِ اللهِ اللهُ أَكْبَرُ وَاللهِ الْحَمدُ وَالصَّلُوةُ وَالسَّلَامِ عَلَى رَسُولِ اللهِ
और फ़िर हथेलियों को यह तसव्वुर करके यह सोच कर चूम लें कि हमने हजरे असवद को चूम लिया फिर तवाफ़ शुरू करें ।
पहले चक्कर में तीसरा कलमा पढ़े ।
سُبْحَانَ اللهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَاللَّهُ أَكْبَرُ وَلَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ الْعَلِيِّ العَظِيمِ وَالصَّلوةُ وَالسَّلَامُ عَلَى رَسُولِ اللَّهِ اللَّهُمَّ إِيمَا نَ بِكَ وَتَصْدِيقاً بكِتَابِكَ وَوَفَاءً بِعَهْدِكَ وَاتَّبَاعاً لِسُنَّتِ نَبِيِّكَ وَحَبِيبِكَ سَيِّدِنَا مُحَمَّد (ﷺ) اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الْعَفْوَ وَالْعَافِيَةَ وَالْمَعَافَاةَ الدَائِمَةَ فِي الدِّينِ وَالدُّنْيَا وَالْآخِرَةِ وَالْفَوْزُ بِالْجَنَّةِ وَالنَّجَاةَ مِنَ النَّارِ
रूकने यमानी से हजरे असवद तक हर बार यह दुआ पढ़े:
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِوَادْخِلْنَا الْجَنَّةَ مَعَ الْأَبْرَارِ يَا عَزِيزُ يَا غَفَّارُ يَا رَبَّ الْعَلَمِينَ
तजुर्मा: ऐ अल्लाह हम दुनिया और आखि़रत की भलाई का सवाल करते हैं और जहन्नुम से पनाह मॉगते हैं और ऐ अल्लाह तू हम को दाखिल करदे जन्नत में नैक लोगों के साथ, ऐ जबरदस्त बख़्शने वाले दोनों जहानों के परवर दिगार ।
दूसरे चक्कर में हजरे असवद के सामने आकर हथेलियों को हजरे असवद के सामने करें बिस्मिल्लाहि अल्लाहू अकबर कहें और हथेलियों को चूम लें । हजरे असवद से रूकने यमानी तक जो चाहे दुआ करें । हर चक्कर पर हजरे असवद के सामने इस्लिमाम करें । सातवें चक्कर के ख़त्म पर भी इस्तिलाम करें । मक़ामें इब्राहीम के पीछे या सहने हरम में कहीं पर भी दो रकात नमाज़ वाजिबुत्तवाफ़ की नियत से दोनों कंधे ढक कर अदा करें । पहली रकात में सूरे काफ़ेरून और दूसरी रकात में सूरे इख़्लास पढ़े या जो सूरत चाहें । नमाज़ के बाद दरूद शरीफ़ पढ़े और खूब दिल लगा कर दुआ करें । (नोट: तमाम मुसलमान मर्द और तमाम मुसलमान औरतों के लिए, तमाम आलम और अपने मुल्क में अमनो अमान की ख़ूब दिल लगा कर दुआ करें)
फ़िर क़िब्ला रूख़ खड़े होकर ज़मज़म सेर हो कर पियें फ़िर यह दुआ माँगें:
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ إِيمَانًا كَامِلًا وَعِلْماً نَافِعًا وَرِزْقاً وَاسِعاً وَشِفَاءٌ مِنْ كُلِّ دَاءٍ
तजुर्मा: ऐ अल्लाह में आपसे मुकम्मल ईमान, वसी रिज़्क़, नफ़ा देने वाला ईल्म और हर एक बीमारी से शिफ़ा माँगता हूँ। सई शुरू करने से पहले हजरे असवद के सामने आकर नवां इस्तिलाम करें फ़िर सफ़ा पहाड़ी पर जायें । और खू़ब अल्लाह की बड़ाई बयान करें । दरूद शरीफ़ अस्तग़फ़ार करें और दिल लगा कर दुआ करें । दुआ से फ़ारिग़ होकर सई की नियत करें ।
सई की नियत
اللَّهُمَّ إِنِّي أُرِيدُ السَّعْيَ بَيْنَ الصَّفَا وَالْمَرْوَةَ سَبْعَةَ أَشْوَاطٍ لِلهِ تَعَالَى فَيَشِرْهُ لِي وَتَقَبَّلُهُ مِنِي
तजुर्मा: ऐ अल्लाह मैं सफ़ा और मरवा के बीच सई का इरादा करता/करती हूँ ख़ास अल्लाह तआला के लिए सात चक्कर लगाता/ लगाती हूँ । ऐ अल्लाह आप इसको मेरे लिए आसान फ़रमा दीजिए और क़ुबूल फ़रमा लीजिए । सफ़ा से मरवाह की तरफ़ दुआऐं करते हुए चलें जब हरी लाईट (सर्किट) आये तब मर्द हज़रात हरी लाइटों के दरम्यान से गुज़रते हुए हर चक्कर में आते में भी और जाते में भी थोड़ा दौड़ कर चलें, औरतें अपनी रफ़तार से चलें हरी लाईटों के बीच हर चक्कर पर अस्तग़फ़ार पढ़े ।
رَبِّ اغْفِرْ وَارْحَمْ إِنَّكَ أَنْتَ الْأَعَزُّ الْأَكْرَمِ
तजुर्मा ऐ मेरे अल्लाह बख़्श दे और रहम फ़रमा बेशक तू ग़ालिब और इकराम वाला है । सई में तीसरा कलमा, चौथा कलमा, दरूद शरीफ़ और अस्तग़फ़ार पढ़ें और दुआऐं करें ।
सफ़ा मरवाह के बीच सात चक्कर लगायें । हर चक्कर के शुरू और आखिर में बेतुल्लाह की तरफ़ मुँह कर के चौथा कलमा पढ़ें और खूब दिल लगा कर दुआऐं करें । सफ़ा से मरवाह तक एक चक्कर होगा फ़िर मरवाह से सफ़ा तक दूसरा चक्कर होगा । इस तरह सफ़ा से सई शुरू होगी और मरवाह पर सात चक्कर पूरे हो कर सई पूरी हो जाएगी ।
दो रकात नफ़ल शुकराना मस्जिद हराम में पढ़े। यह नमाज़ पढ़ना मुस्तहब है । इसके बाद मर्द हज़रात सर के बाल मुंडवायें औरतें अपनी चोटी के बाल अँगुली पर तीन एक लपटे देकर खुद ही काट लें । तवाफ़, सई और सर के बाद मुंडवाने, कटवानें या काटने के बाद ही आप का उमरा पूरा होगा । अब एहराम की पाबंदियॉ खत्म हो गई । उमरे के चारों काम हो गए । अल्हम्दुलिल्लाह
:: अरफ़ात में पढ़ने की दुआऐं ::
तलबियह 100 बार, कलमा-ए-तय्यबा 100 बार, कलमा-ए-तमजीद 100 बार, कलमा-ए-तौहीद 100 बार, दरूद शरीफ़ 100 बार, सूरे इख़्लास 100 बार, हस्बुनल्लाहु व निअमल वकील 100 बार, फ़ल्लाहू खैयरून हाफ़िज़न व हुवा अरहमुर्राहीमीन 100 बार, हस्बियल्लाहु ला इलाहा इल्ला होवा अलैयह तवक्कलतु व होवा रब्बुल अर्शिल अज़ीम 100 बार, अस्तग़फ़िरूल्लाहल लज़ी लाइलाहा इल्ला होवल हय्युल क़य्यूम वअतूबो इलयह 100 बार, सूरे यासीन, सूरे रहमान, सूरे मुल्क, सूरे तौबा एक-एक बार पढ़े, चहल रब्बना, मुनाजाते मक़बूल, हिज़बुल आज़म, मोमिन का हत्यार की दुआएं पढ़ें । तमाम मोमिनीन मोमिनात, मुस्लिमीन मुस्लिमात के लिए ख़ूब दुआऐं करें ।
तरतीब व पेशकश :
हज़रत मौलाना अल्हाज मुफ्ती रईस अहमद खान साहब क़ासमी
दामत बराकातुहुम, मुहद्दिस दारूल उलूम ताज-उल-मसाजिद व (A) मुफ्ती शहर भोपाल
खलीफ़ा व मजाज़े बैयत अज़ शैख़-ए-तरीक़त आरिफ़ बिल्लाह हज़रत मौलाना अल्हाज शाह मोहम्मद क़मरूज़्ज़मा साहब
इलाहाबादी दामत बराकातुहुम.

