• हमारा अल्लाह के आदेशों और हज़रत मुहम्मद ﷺ के निर्देशों पर अमल करना और उन के मुताबिक व्यापार करना नमाज़, रोज़ा और हज वगेराह के बराबर है। (यानी यह भी इबादत है) क्योंकि अल्लाह के आदेशों पर पाबंदी से (नियमित रूप से) अमल करना ही इबादत है। अगर हम अपने जीवन और अपने व्यापार में अल्लाह के आदेशों पर नियमित रूप से अमल करते हैं तब हमारा जीवन और व्यापार का हर काम अल्लाह तआला के यहाँ इबादत के तौर पर दर्ज किया जाएगा। (मुआरिफुल हदीस, खंड़ 7, पृ. 64)
• हज़रत मुहम्मद ﷺ ने फरमाया, "ईमानदार व्यापारी कयामत के दिन पैगम्बरों, नेक और शहीद लोगों के समूह में होगा।" (बुखारी, मुस्लिम)
• हज़रत अबू हुरैरा (रजि.) कहते हैं कि हज़रत मुहम्मद ﷺ ने फरमाया, “अगर कोई बंदा भीख मांगने से बचने के लिए रोज़ी हासिल करता है, अपने परिवार के पालन पोषण के लिए कमाता है, अपने पड़ोसी की मदद् के लिए रूपया जमा करता है, तो कयामत के दिन उसका चेहरा चौदहवीं के चांद की तरह रौशन (उज्जवल) होगा।" (मज़हरूल हक, बा-हवाला आसान रिज़्क, पृ.12)
क्यू. एस. खान
(B.E. Mech)
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