हम माल और दौलत कमाने के लिए कौनसा व्यवसाय अख्तियार करें?

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• हज़रत मुहम्मद  ने फरमाया, "ईमानदार व्यापारी कयामत के दिन पैगम्बरों, नेक और शहीद लोगों के समूह में होगा।" (बुखारी, मुस्लिम)

• अर्थात इमानदारी से व्यापार करने का बहुत महत्त्व है।

• हज़रत मुहम्मद ﷺ ने सऊदी अरब और शाम (Syria) के दरम्यान व्यापार आयात, निर्यात का कारोबार किया था।

• हज़रत आदम (अ.स.) खेती बाड़ी करते थे। हज़रत मुहम्मद ﷺ की मदीना और खैबर में कुछ खेतीयां थीं जिनमें खेती बाड़ी होती थी।

• हज़रत ज़करिया (अ.स.) और हज़रत दाऊद (अ.स.) ने उत्पादन (Manufacturing) का कारोबार किया। हज़रत ज़करिया (अ.स.) बढ़ई थे और हज़रत दाऊद (अ.स.) ज़राह बक्तर (युद्ध मे पहने जाने वाले लोहे के वस्त्र) बनाते थे। (मुस्लिम, बुखारी)

• हज़रत मूसा (अ.स.) ने मिस्र (Egypt) से निकलने के बाद हज़रत शोएब (अ.स.) के यहाँ नौकरी की।

• हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रजि.) कहते हैं कि हज़रत मुहम्मद ﷺ ने फरमायाः “अल्लाह तआला उस मुसलमान से मुहब्बत करता है जो मेहनत करके रोज़ी कमाता है।" (तरगीब बहवाला तिबरानी, ज़ादे राहः 86)

• एक बार हज़रत मुहम्मद ﷺ के एक सहाबी (साथी) ने हज़रत मुहम्मद ﷺ से हाथ मिलाया। आप ﷺ ने महसूस किया के सहाबी (रजि.) की हथेली सख़्त है। इसलिए आप ﷺ ने सहाबी (रजि.) से पूछा कि ऐसा क्यूं? सहाबी (रजि.) ने जवाब दिया कि अपने परिवार के पालन पोषण के लिए हाथ से सख़्त मेहनत करके रोज़ी प्राप्त करता हूँ। इसलिए हाथ सख़्त हैं। हज़रत मुहम्मद ﷺ ने सहाबी (रज़ि.) के हाथ को बोसा चुम लिया और उनकी तारीफ की। (अबू दाऊद)

अल्लाह तआला के पैगम्बरों ने व्यापार, खेती बाड़ी, उत्पादन (Manufacturing) और नौकरी यह तमाम पेशे (व्यवसाय) अख्तियार किए हैं। इसलिए इनमें से कोई भी पेशा छोटा या हल्का नहीं, सारे पेशे सम्मानजनक हैं। और अल्लाह तआला सख़्त मेहनत करने वालों को पसंद करता है इसलिए हम जो भी काम करें उसे पूरी मेहनत और ईमानदारी से करें।

व्यापार सबसे ज़्यादा पसंदीदा व्यवसाय है 

• हज़रत इब्ने अब्बास (रजि.) कहते हैं कि हज़रत मुहम्मद ﷺ ने फरमायाः “अल्लाह तआला ने बरकत (ईश्वरीय वरदान) के 20 हिस्से किए हैं। उनमें से 16 हिस्से व्यापार में रखे हैं और एक हिस्सा चरवाहों के लिए (नौकरी में)।” (कन्जुल ईमान 16/4, रकमुल हदीस 6354)

• मुहाजरीन (शरणार्थी) जो मक्का से मदीना हिजरत कर गऐ थे उनका तमाम माल और जायदाद नष्ट हो गयी थी या लुट गई थी। परंतु कम समय में वह मदीना के नागरिकों से ज़्यादा मालदार हो गए। मुहाजरीन की इस महान तरक्की का राज़ उनका व्यापार और दुरदराज के देशों से दरआमद (आयात) का कारोबार था। जबकि मदीना के नागरिकों अर्थात अन्सार की कम तरक्की, आर्थिक खुशहाली में कमी और कारोबार में मंदी कि वजह खेतीबाड़ी और स्थानिक व्यापार था।

• हज़रत सुमय्या बिन अमीर (रजि.) कहते हैं कि एक बार लोगों ने हज़रत मुहम्मद ﷺ से सवाल किया, “कौनसी रोज़ी बेहतरीन रोज़ी है?" हज़रत मुहम्मद ﷺ ने फरमाया, “वह रोज़ी जो तुम अपने हाथों से कमाते हो और वह व्यापार जिसमें अल्लाह तआला की नाफरमानी नहीं होती।” (मसनद अहमद, बहवाला जादे राह, हदिस 87)

• इसलिए अपनी रोज़ी रोटी कमाने के लिए व्यापार का पेशा ही अपनाना चाहिए।

धरती में छिपे खज़ानों से रोजी कमाइये

• हज़रत मुहम्मद ﷺ ने फरमाया, "धरती में छिपे माल (खज़ानों) में अपनी रोज़ी तलाश करें।" (कन्जुल आमाल, जिल्द 2, सफहा 167)

• धरती में छिपे माल क्या हैं?

धरती में छिपे माल (या खज़ानों) की एक लम्बी सूची है। अगर हम उनसे रोज़ी कमाएं तो निश्चित रूप से हम खुशहाल होंगे, क्योंकि हज़रत मुहम्मद ﷺ के निर्देश कभी ग़लत नहीं हो सकते। धरती में छिपे माल से रोज़ी कमाने का मतलब है कि ऐसी चीज़ों का कारोबार करना जिनका संबध धरती से हो। उदाहरण के तौर पर कान कनी (खनन) Mining, मअनियात (खनीजों), किमयायी (रसायनिक) चीज़ों का कारोबार। मअनियात (खनीजों) से संबंधित कारोबार में धातु की सफाई, धातु को ढालना, मादनी (खनीज) तेल निकालना, पेट्रोल का उत्पादन करना। खेतीबाड़ी भी कारोबार की तरह करना जैसे इत्र बनाना, खुरदूनी (खाद्य) चीजें जैसे मीठा तेल और मसाले वगैरा बनाना। यदि आप दैनिक जीवन का निरक्षण करें तो पता चलेगा कि जो व्यापारी धरती में छिपे माल का व्यापार करते हैं वह लखपती या करोड़पती हैं। इसलिए अगर संभव हो तो आप भी उसी दिशा में कारोबार करें।


क्यू. एस. खान 
(B.E. Mech)

क्यू. एस. खान की पुस्तकें इंटरनेट पर पढ़ने तथा डाउनलोड करने के लिए
निम्नलिखित वेबसाइटस् पर मुफ्त उपलब्ध हैं। 
www.freeeducation.co.in
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