निम्नलिखित क़ुरआन की आयतों से ज़ाहिर होता है कि दौलत पर सिर्फ अल्लाह तअ़ाला का नियंत्रण है और वही उसे बांटता है।
* "और यह कि वही (अल्लाह तअ़ाला) दौलतमंद बनाता है और गरीब (निर्धन) करता है।" (सूरह नज्म, आयत 48)
* "और जब अल्लाह तअ़ाला अपने बंदो के लिए रिज़्क, में धन दौलत में बढ़ोतरी कर देता है तो वह ज़मीन में फसाद (दंगा) करने लगते हैं। इसलिए वह जिस कदर चाहता है अंदाज के साथ नाज़िल करता है (देता है)। बेशक वह अपने बंदो को जानता है और देखता है।" (सूरह शूरा, आयत 27)
* "और अगर अल्लाह तअ़ाला तुमको कोई तकलीफ पहुंचाए, तो उसके सिवा उसको कोई दूर करने वाला नहीं। और अगर अल्लाह तुम्हारे लिए भलाई करनी चाहे तो उसकी कृपा को कोई रोकने वाला नहीं। वह अपने बंदो में से जिसे चाहता है फायदा पहुंचाता है।" (सूरह यूनुस, आयत 107)
* "क्या जिस चीज़ कि इन्सान आरजू करता है वह उसे ज़रूर ही मिलती है ?" (सूरह नज्म, आयत 24)
(नहीं, अल्लाह तआला जितना चाहता है उतना ही मिलता है।)
* "जो कोई आखिरत की खेती चाहता है उसकी खेती को हम बढ़ाते हैं, और जो दुनिया की खेती चाहता है उसे दुनिया ही में से देते हैं मगर आखिरत में उसका कोई हिस्सा नहीं है।" (सूरे शूरा, आयत 20)
क्यू. एस. खान
(B.E. Mech)
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